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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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सागड़ी

सूरजी री ऊगण उंतावल
सूरजी री ऊगण उंतावण,
रात अंधारौ जातौ दीसै।
थाक्योड़ा पगल्यां में फुरती,
नखै ठिकाणौ आतौ दीसै।।

निफल बीततां मिनख जमारौ,
पुन्याई पाछी पांगरगी।
खरची खूट हुवण सूं पैला,
कोई साख भरातौ दीसै।।

तोता रट सूं जीभ थाकगी,
हिवड़ै री सून्याड़ मिटावण।
भणियोड़ा आखर बीसरतां,
कोई याद दिरातौ दीसै।।

मांड मांड सबदां रा मेला,
गेलां आवण लगी जीवड़ै।
सिरजण री सरतण कौताई,
चेतो कलम चलातौ दीसै।।

पारस खोज करण में पागी,
घर रो कतरौ लोह गमायौ।
छेली गांठ खुलण सूं छेकड़,
पारस मेल करातौ दीसै।।

सरम सरम छै मरम सीखलै,
है धरम धरम री ठौड़ धा।
करम कमाई मेल हुवां बिन,
गांठां भरम गमातौ दीसै।।

गुण तौ धरिया रेय घणैरा,
पूजीजै मालीपन्ना सूं।
अटकल कला सीखियां इधकी,
वो ही नांव कमातौ दीसै।।

होड़ा होड बधावण विभौ
निरधनियां रौ रगत चूंसलै।
परमारथ रौ पथ पांतरगौ,
स्वारथ गीत घुरातौ दीसै।।

हरियल रूंखां बैठ हरखता,
मग में लेता लोग बिसाई।
सूख्यां ठूंठ बण्या संसारी,
लांपौ छेक लगातौ दीसै।।

नाव भंवर सागर में पजतां,
छेती पड़तां देख जिंदगी।
साथीड़ा नैं छोड सांपरत,
खुद रौ जीव बचातौ दीसै।।

हिम्मत राख्यां देख भायला
हिम्मत राख्यां देख भायला,
जीवण आछी बात बणैला।
चांद ऊगिया नभ अंधियारी,
चमक चानणी रात बणैला।।

तावै तपत जेठ लूवां तन,
जरणा राख्यां दिन कट ज्यावै।
सावण में हरियाली धरती,
बा मौसम बरसात बणैला।।

बीज राल धती में करसौ,
करसी रातदिवस रखवाली।
काती में पाक्यां फसलां रै,
जद कोई अन जात बणैला।।

इक इक ईंट जोड़ नै जोड़ै,
कारीगरी बणावै भींतां।
छींणां चढ़तां झरै पसीनौ,
जद कोई घर छात बणैला।।

नौ महीना लग उदर लुटावै,
सहवै अवर जणण री पीड़ा।
आलै सोय सुवाणै सूखै,
वा लाडेसर माण बणैला।।

जप तप हूंत तपावै तन मन,
सेवट पावै ग्यांन उजालौ।
भगती री सगती त्यां बेसी,
जोगी बडो जमात बणैला।।

विरहण दरद अंधारी रातां,
नहीं गांगरत गावै ओरां।
पीव उमेदी राख्यां सेक्ट,
संजोगी परभात बणैला।।

आछौ फल मैंणत रै आपै,
पड़तल री नीं पूछ जगत में।
सेंठी सांम कमर कसियां सूं,
कारज हाथोहाथ बणैला।।

मतलब री गलियां जो माल्है,
पर उपकारां रहवै अलगा।
इसड़ां रौ जीवण इकलापी,
वांरै कोय न साथ बणैला।।

ऊगै जिणनै लुलै मांनखौ,
आंथमता नैं भूल जावसी।
तपता रहिया जगत तिकां रौ,
गौरव वाली गाथ बणैला।।

साची लगन मिटाव मती
सतरै कांनी निजर राखी पण,
एक निजर बिसराव मती।
बलगत भाड़ै कर कर कारज,
सांची लगन मिटाव मती।।

दाम कमावण सारू खाथौ,
क्यूं आफल पड़पंच करै।
नहचौ अर नेठाव राखलै,
हाथां तिली उगाव मती।।

सहज भाव सूं सीख जीवणौ,
घण झंझट सूं जीव बलै।
कयै कयै कुचमादी मनड़ै,
जागां जागां जाव मती।।

भाटै भाटै देव पूजियां,
कुण थारी अरदास सुणै।
एक इस्ट नै पकड़ बैठज्या,
गुण सगलां रा गाव मती।।

डोढ हुंस्यारी करलौ कतरी,
थोथा थूक उछाल लहौ।
सांई हाथ कतरणी सबली,
कतरीज्यां पछताव मती।।

दिन खायां कीं समझ वापरै,
आ थारै सारू झूठी।
धाड़ां माड़ा करम धूड़ थूं,
धोलां में पटकाव मती।।

पुरस्यौ थाक निजर रै सांम्ही,
कुण मूंडा में देय कवा.
हाथ चलायां पेट भरीजै,
गमा तेवड़ां साव मती।।

माईता री सुद नीं लेवै,
निज टाबरिया लाड लडै।
सासू वालौ त्यार ठीकरौ,
आ कैबत भूलाव मती।।

काच महल थारै करियोड़ौ,
व्है जरणा री अठै कमी।
रीसां बलनै छात पराई,
भाटा देख बगाव मती।।

बायिरयै रै वंग बेवणिया
नफा कमावै नवा नाव।
सुलटौ बहणौ मारग सखरै,
उलटौ करी उठाव मती।।

मत थूं फाड़ै आंख भायला
च्यारूं मेर हुयौ अंधियारौ,
मत थूं फाडै आंख भायला।
ओरां कांनी जोणौ बिरथा,
अपणी करणी झांक भायला।।

जिकां भरोसै बैठा आपां,
बे तौ काठा क्यारा पाया।
भेंस भरोसां लाई पाड़ौ,
जीवण गाडौ हांक भायला।।

हूंस हिया सूं नांम न चालै,
सराजांम बिन कांम सरै ना।
कीकर पंछी उडै गिगन में,
सगला खुसग्या पांख भायला।।

गत पीछम री पकड़ी गैला,
कुल मराजदा रीत बिसरग्या।
लाज आज री पीढी दीनी,
ऊंची खूंटी टांक भायला।।

ऊपर वाला री उपराड़ी,
म्हारै अजै समझ नीं आई।
झूठा हरखै चीज मोकली,
सांचा तरसै फांक भायला।।

सुरमौ तो आंख्यां में ओपै,
और जगां कालूंस कवीजै।
आप आप री जागां आछा,
जोर करो बत बांक भायला।।

सुन्दर जन हो जतै सुंदरी,
चित सूं राखी घमी चावना।
सल पड़ियां तन दियौ बिछेवौ,
हेत कियौ हकनाक भायला।।

तनमन धन रौ धणी जतै थूं,
सगला थारौ कहणौ करसी।
बूढापै में कोनी गिनरत,
थारी मिटसी धाक भायला।।

सौ सौ पीढी संज करावण,
कूड़ा कोजा कांम करै क्यूं।
हर हीड़ा री आवै मांचै,
दुनिया स्वारथ साख भायला।।

फेनाफन फेसनां फूलै,
मौजां मांणै खाख पिदातौ।
गरब मती रै गात गोरियै,
हिक दिन होसी राख भायला।।

रोजीना री रम्मत जिंदगी
रोजीना री रम्मत जिंदगी सावल कीजै।
छोटी मोटी बातां सारू मन ना छीजै।।

अपणी करणी रा फलग भुगतां हां आपां ही।
दुख विपदा री दोस किणी माथै मत दीजै।।

दुकचर कुचर कायी व्है जावौ चावै काठी।
जूवां रै डर सूं धाबलियौ कद न्हांखीजै।।

काची अवर जवान गमी रौ सदमौ घर में।
पण मरियोड़ां लारै भायां नहीं मरीजै।।

ब्याधी मिंदर कयौ बडेरा मिनखा तन नैं।
सड़पां रीलां भंवल दरद सब सहन करीजै।।

सरदी लाग्यां धूज अगन गरमास दिरावै।
सीयां मरतां सूं ई कद तप मांय भड़ीजै।।

अनरथ अर अन्याव होवता देखां सगला।
काया व्है व्है कद आं सूं आंख्या फौड़ीजै।।

दीवल लाग्यां जड़ां करै कमजोर तरवरां।
सूख्या रूंखां देख नहीं बणराय सूखीजै।।

साम्ही थकां बखांण पलटियां निंदा करणी।
इसड़ा मिनखा रौ ई कद पापौ काटीजै।।

रात अंधारी सोपौ पड़गौ किण नैं कैवै।
चोर लफंगौ वास एकली केम पतीजै।।

खाज्यै मती बिसांणी बेगी
खाज्यै मती बिसांणी बेगी,
जांणौ अलगी भायं जीवड़ा।
अबड़ौ पंथ जातरा जीवण,
सुसती ला मत काय जीवड़ा।।

चालण री जद धार लहै मन,
तन नैं कहणौ करणौ पड़सी।
थाक्यां बैल्यां खड़ै सागड़ी,
गाडौ चाल्यां जाय जीवड़ा।।

उडै पंखेरु पेट भरण नैं,
सावचेत हुच चुगौ चुगैला।
जाल कपट रा लोग बिछाया,
आं सूं बचज्यै आय जीवड़ा।।

पटक रोसनी रात सिकारी,
सुसियौ भरमी करै कबज में।
पलक उजास अंधारौ जीवण,
झिलमत बखड़ी मांय जीवड़ा।।

डर डर करतां हियौ डरैला,
निडर हुयां सह बात नितस्सी।
छाती खोल मिलालै आंख्या,
पछै न कोई काय जीवड़ा।।

दूजां रै सुख दाझै दुनिया,
कांई बांण पड़ी छै खोटी।
दगौ देणियां मोको मिलियां,
पथ कांटा पथराय जीवडा।।

पिव पिव बोल पपीयौ विरहण,
लांपौ गुमसुम हियै लगावै।
दोरी पड़सी रात काटणी,
तन मन तपण तपाय जीवड़ा।।

म्रिगतिसणा मारग थल मोकल,
भरम जाल कैयां भटकासी।
धाकौ इणसूं नहीं धिकैला,
पुखता करौ उपाय जीवड़ा।।

अजै तौ रात आधी है
कमेड़ी बोल मत भोली,
अजै तौ रात आधी है।
गिगन चढ चांद आयौ पण,
चांनणी बात आधी है।।

बिरखा दुभांत नीं राखी,
बीज इकसार ही राल्यौ।
एकसी साक किम होवै,
खेत में खात आधी है।।

लमड़तग लेव मत विधना,
गरीबां जीवणौ दोरौ।
फरक है थारी निजरां में,
समझ सौगात आधी है।।

थोड़ी सी बात बणियां सूं,
भूलगौ हैसियत कीकर।
गब्दोला जिंदगी धुलिया,
कटी नीं पाथ आधी है।।

भरोसै छोडियां अवरां,
सरैल कांम नीं सावल।
पलै किम तावड़ौ बिरखा,
घरां री छात आधी है।।

कली सूं फूल बणबा में,
बगत रौ लागणौ वाजब।
बिगड़गौ कांम आंचा सूं,
जुगत चित चात आधी है।।

भूख नै रोकणौ पड़सी,
चूक नै लोग भूंडैला।
जीमबा बैठगा कीकर,
आई जमात आधी है।।

जणण री पीड़ जो सहवै,
जांणसी हेज ममता में।
कीकर लाडेसर भूलै,
सावकी मात आधी है।।

जीत मनवार रा काचा
जीव मनवार रा काचा,
कुवेला जावणौ पड़सी।
लपलकौ जीभ रै लीधां,
घणौ दुख पावणौ पड़सी।।

भावै कार धन बंगला,
फली नीं फोड़णौ चावै।
पड़तलां जीवणाँ पोचाँ,
भुगत पछतावणौ पड़सी।।

ठिकाणै बैठियौ ठालाँ,
ठोठपण लेवियौ ठेकै।
मुलकता माजनौ हिक दिन,
हाथां गमावणौ पड़सी।।

चूक रै साथ थूं चालै,
भूख रौ भायलौ बणगौ।
देह गेह भार दालिदर,
तलै दबजावणौ पड़सी।।

तपै है जेठरौ तावड़,
लूवां लारै घण लागी।
हलोत्यौ करम नैं हाली,
अजै सुसतावणौ पड़सी।।

ओढ़ नैं खाल नाहर री,
गादड़ौ भूप बण बैठौ।
दकालां सिंघरी सुणियां,
धोखा मनावणौ पड़़सी।।

सींत रौ माल खाया थूं,
किता दिन काढसी बीरा।
घटासी मान सेवट तौ,
घरां निज आवणौ पड़सी।।

मिनख री बात नीं मानै,
अकल में आंवसी ज्योड़ौ।
खाड दिस जांण खड़ियां सूं,
खपिंदौ खावणौ पड़सी।।

इण पालै में आवण वालौ
भावण घणा थारा आछा पण,
कोई कोनी चावण वालौ।
नैड़ौ नैड़ौ निजर न आवै,
इण पालै में आवण वालौ।।

खाय परायौ राजी व्हेणौ,
इसड़ौ हेवा हुवौ मांनखौ।
हिवड़ै हरख खवाय'र औरां,
बाजै आज गमावण वालौ।।

लातां मारै पेट परायै,
खुद री सुख सुविधायां खातर।
महल झुकावै बाल झूंपड़ी,
कहवै लोग कमावण वालौ।।

सरकारी सम्पत धन सारू,
मन मीठौ मेलौ कर लेवै।
भरी तिजोरी उण नै भाखै,
सूंक नहीं औ खावण वालौ।।

मांगणियां सूं फेरै मूंडौ,
देणौ सीख्यौ नांव दांवणौ।
धन कारण माडै मानीजै,
दातापणौ निभावण वालौ।।
निज कारण सलुवां रै साटै,
जांण कटावै भैंस पराई।
इसा मिनख नैं आंगिलायंंा सूं,
कोई नहीं बतावण वालौ।।

माला पैरण घणा अड़थड़ै,
सेवा करणी दोरी लागै।
माथौ कटती वेला आगै,
कोई कोनी जावण वालौ।।

'चारवाक' तौ हरखै चौड़ै,
मांय 'कबीरो' गुमसुम बैठौ।
तार उलझगौ मिनख जमारै,
कोई नीं सुलझावण वालौ।।

गलौ मांनखौ वाढ गली में,
मिंदर पूजा जाय करण नैं।
घड़ियाली आंसूं गैरणियां,
कठै गयौ बिसरावण वालौ।।

भारत गौरव गाथा भूली,
माथा मांय पराई वातां।
भू हेमांणी खोदण सारू,
आज नहीं बिरदावण वालौ।।

दुनिया जीवण देवै कोनी
निबल गरीबां सोरैसासां,
दुनिया जीवण देवै कोनी।
लांठाई रौ बगत भायलां,
सैंणप कोई सहवै कोनी।।

मिनख मार सांनी सटकारै,
कांनी कांनी बीखर जावै।
भूत मांनखै मांही बड़गौ,
सीख भलाई लेवै कोनी।।

ज्वांर पड़ी बिन बोल्यां मंडी,
बिकै बूंबरा बोलणियां रा।
तोलणियां रै कांण ताकड़ी,
देखणिया ही कहवै कोनी।।

सुरता दबगी भाव बुराई,
हात नहीं चुमकारौ करणौ।
मरणौ मांडै जिका मनावै,
राज जुबानी रहवै कोनी।।

अन्यांवा रीा लेण लागगी,
अपराधां रौ कोनी छैड़ौ।
चापलगा रिच्छक डरतोड़ा।
सोठ झपीड़ा बहवै कोनी।।

डर डर जीवणियां डरपावै,
दुबलां दुरगत हुई देस मंे।
पखापखी सूं गुण्डा पनपै,
आं सूं कोी फहवै कोनी।।

अबलावां री इज्जत देखौ,
धोलै दौपारां लूटीजै।
देखणिया नर पूठ फेरलै,
काचौ मन कीं हेवै कोनी।।

माड़ा कांम करणिया केई,
जागां जागां धाक जमाई।
चोड़ै धाड़ै धंधा चालै,
राज दुसमणी लेवै कोनी।।

सैंणा नोकर दफ्तर देखौ,
भार कांम सूं दबता जावै।
नकटा चमचा फली न फोड़ै,
अफसर डरता कहवै कोनी।।

आंणै टांणै खरच अणूंतौ,
रिसवत कारण करै लोगड़ा।
नेकी वालां फंक्सन फोरा,
दोस्त उधारौ देवै कोनी।।

सूमां हूंत दिरीजै कोनी
अदतारां दातारी जीवण,
एको काज करीजै कोनी।
धन कतरौ ई होवौ धणियां,
सूमां हूंत दिरीजै कोनी।।

बालक खावण चीजां बिलखै,
रेती रमबा करै रमतिया।
आड़ौ सुणतां कान दाटलै,
हिवड़ै हेज हरीजै कोनी।।

दत कोड़ी ही देतां दुखिया,
धूजै मनड़ौ देख धणीरौ।
सोरैसासां जेब रोकड़ा।
कंजूसां काढीजै कोनी।।

तन माथै फाट्यौडा गाभा,
मन उपराड़ी मेल जमायौ।
भरी तिजोरी जीव रूखालै,
खेरौई खरचीजै कोनी।।

मूंडो फरै देख मंगणा,
आडौ घर आतां ओडालै।
भोलै भूल इसां दातारी,
हिवड़ै भाव भरीजै कोनी।।

फोरा आंणा टांणा काढै,
मूंजी मनड़ौ नहीं पसीजै।
दाटौ हिवड़ै आडौ काठौ,
अलगौ लगन लिरीजै कोनी।।

मूंजीपण सूं बधी मांदगी,
टसक टसकतौ काटै दिनड़ा।
कूंची सेंठी बांध कमर रै,
पूतां सेव पतीजै कोनी।।

माड़ौ घरां लगावण खावण,
गास्या गलै उतारै लूखा।
भूखापणौ जमारौ भुगतै,
धीणौ राखण धीजै कोनी।।

भगती भाव राखणौ भूल्यौ,
माला धन री फेरै हरदम।
कहवै मिनख जमारै मांही,
रुपियां बिन जीवीजै कोनी।।

मती देवझ्यौ दान दक्षिणा,
मरिया पाछै म्हारै लारै।
मूंजी कहवै भौ सागर धन,
ताकत बिना तिरीजै कोनी।।

बीरा पेट भरीजै कोनी
खोटी करणी धूड़ खावियां,
बीरा पेट भरीजै कोनी।
कर कर कौल पलटियां वाचा,
ऊमर पार पड़ीजै कोनी।।

सरदी मांय लागसी सरदी,
बगत जेठ रौ तपणौ वाजब।
आपां री मंछां रै माफक,
मौसम तौ बदलीजै कोनी।।

बसती माड़ी मिनख बदलग्या,
रलपट लुच्चा रात्यूं रांचै।
मांदौ बाप पकड़ियौ मांचौ,
धीव कंवारी धीजै कोनी।।

टप टप पांणी चवै टापरा,
ईंनण आलौ चुल्लौ बुझग्यौ।
कोकल कूलै भूखी बैठी,
कीकर मनड़ौ छीजै कोनी।।

गायां बिन सून्याड़ौ गौहर,
चारौ पोटां छांणा खूटा।
दूध मोल रौ टाबर दौला,
भर'र पेट पीवीजै कोनी।।
भाई भाई दुसमण बणग्या,
जायदाद सारू झगड़ालू।
आंगण बिचली भींता बदगी,
पीड़ा साद सुणीजै कोनी।।

काज सरातां हरदम कैतौ,
दुख विपदा में कांम आवस्यूं।
गरज मिटी गोता खावण नैंं,़
इण मारग आवीजै कोनी।।

बेटो होयां थाल बाजियौ,
घरां कराई गोठ गूगरी।
बिगड़ै ऊत माईतां मुसकल,
पैला मौत मीरजै कोनी।।

भागादौड़ी लगी मांनखै,
बंतल करणी आदत भूल्यौै।
तीज तिंवारां पैली जिसड़ौ,
हिवड़ै सूं हरखीजै कोनी।।

इमरत उपजै धरती माता,
जांण मांनखौ गरल रलावै।
रोग बुलावै झालौ देय'र,
मिनखां ज्हेर झरीजै कोनी।।

जीव अजै सहणौ पड़सी
आधण सीजै पकै खीचड़ी,
खावणिया कहणौ पड़सी।
बगत लागसी काम बणंतां,
जीव अजै सहणौ पड़सी।।

घर ती हालत करै गुजारौ,
लोक सुवातौ पै'र रयौ।
मांन चाल थूं मिनख जमारै,
रीत मुजब रहणौ पड़सी।।

बिन बोल्यां थांनै ही मुसकल,
माथै बोज सवाल हुवै।
आवै जिसड़ौ म्यांनौ दुनियां,
समझ गैल दैणो पड़सी।।

रीस खावियां लगै न कारी,
होणी सौ होणी होगी।
पछतावौ ऊझड़ ख़ड़ियां सूं,
बाट गैल बहणौ पड़सी।।

खोट हलाहल सोनी मांही,
चूक करी भुगती कोई।
झूठौ ब्याव सगाई वेला,
घालणियाौ गहणौ पड़सी।।

जरणा राखी ज्यूं सिर चढ़ियौ,
बिणरौ मिनखपणौ मरगौ।
माथै आयां सरदा सारू,
सेवट तौ फहणौ पड़सी।।

नदी बेग बरसालै खाथौ,
थाटां पाटां बहै थिरा।
घूंच घालतौ नीर किनारै,
ढावां नैं ढहणौ पड़सी।।

बाढ्या मूंग मोठ किरसाणां,
काती सब साथी हुयगा।
भेलौ करनै न्यारौ न्यारौ,
सुखावणौ नहणौ पड़़सी।।

पन्ना 14

 

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